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८३४ देवरामस्य श्रमणस्प महाराजस्य इमे देवा आशा-उपास-न-गिने तिष्ठन्ति, तद्यथा-श्रमणकायिका इति वा, वेश्रममतकापिका इति बा, मुवर्णकुमारा , सवर्णकुमार्य, दीपामारा, दीपकुमार्य , दिलमारा , दिकुमार्य , वानव्यन्तराः, धानन्यन्तर्य , य चापये तथा प्रकाराः सर्वे ते तद्भक्तिका यावत्-विष्ठन्ति, जम्मूदीपे दीपे मन्दरस्य पर्यतस्य दक्षिणेन यानि इमानि समस्पधन्ते, तद्यथा-अय आमरा इति पा, प्रा आकराइति ना, करना चाहिये । (सकस्स ण देविंदस्स देवरणो समणस्स इमे देवा आणा-उववाय वपण-निसेचिद्धति) देवेन्द्र देवराज शाके लोकपाल वैश्रमण महाराज की ये अभी अभी कहे जाने वाले देव माझा में, सेवामें, घधन में और निर्देशमें रहते हैं। (त जादा) देव ये है(वेसमणकाइयाड घा, समणदेवकाइयाइ घा, सुवण्णकमारा, सुषपण कुमारोमो, दीव कुमारा, दीव कुमारीओ, दिसा मारा, दिमाकुमारीओ, वाणमसरा, वाणमतरीभो) प्रमणकायिक, वैममणदेव कायिक, सुषर्णफुमार, सुवर्ण कुमारिकाएँ बीपकुमार, सीपकुमारिकाएँ, दिपकुमार दिपकुमारिकाएँ, पानष्यतर और वानम्यतारिकाएँ । तपा जे पावणे तहप्पगारा सव्वे ते तन्भचिया, जाप चिति) जो भोर भी दूसरे इसी प्रकारके देव हैं, वे सब उसकी भसिवा पावत् है। (जपूरी दीवे मदरस्स पव्ययस्स दाहिणेण जाई इमाइ समुपाति) जनूमीप नामके दीपमें मुमेरु पर्वतकी दक्षिण दिशामें जो पे विशेष
(सकस्स ण देविंदस्स देपरणो पेसमणस्स इमे देवा मामा-उपचाप वयणनिरसे पिट सि ) , ३ Atit asie मनी भासा, सेवा, १२न यिने मनुसना। विना नाम नीम प्रभाव (IT) (वेसमणकाझ्या बा, समणदेवकाइयाइ पा, मुबष्णहमारा; सुपण्णामारीभो, सीवकमारा, दीपकुमारीओ, दिसाइमारा, दिसाहमारीमो, वाणमंतरा, आपसरीओ) देशभरि वेशभरे सुपरभाश, अपभारी, તોપમા, હીપકુમારીએ હિકમાણે હિમારીએ, વાનખ્યત્તર, વાન બનતી तया (जे यावरणे साप्पगारा सम्य ते नमत्तिया, जाम चिटति) તે પ્રકારના બીજા પણ જે કેવો છે તે સર્વે તેના પ્રત્યે ભકિતભાવ માહિબી મસ્ત છે (जयी दीवे मदरस्स पम्पपस्स दाहिणेण जाइ माइ समप्पज्जति) જ બહાપ નામના દ્વીપમા મદર (ભ્રમે) પવતની દક્ષિણે નીચે દર્શાવ્યા પ્રમાજના