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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ.७ स् ३ यमनामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८०३ अम्बरीप२ चैव श्याम ३ सपळ.४ इति योऽपर , रुद्रो५-परुद्र ६ कालभ७ महापाल८ इति योऽपरः, असिपनो९ धनु.१० कुम्भो११ वाल १२ वैतरणी१३ इति च, खरस्वरो१४ महाघोपः१५, एवमेते पश्चदशाऽऽख्याता', शक्रस्य देवेन्द्रस्य, देवराजस्य यमस्य महाराजस्य सत्रिभाग पल्योपम स्थिति ममता, एव महर्दिक, यावत्-यमो महाराजा२ । ॥ सू० ३ ॥ राज शक्रके लोकपाल यम महाराजको ये देव अपत्यके जैसे अभिमत हैं । (तजहा) यम महाराजको जो देवअपत्य के जैसे अभिमत हैं वे ये है-(मबे, अंपरिसे, चेव, सामे, सपले ति यावरे' रुदोवरुदे, काले य' महाकाले ति यावरे, असिपत्ते धणूकुमे, बालू, वेयरणी चि य, खरस्सरे महाघोसे, एमेए पनरसाहिया) अप, अम्परिप, श्याम, सपल, रुद्र, उपरुद्र, काल, महाकाल, असिपत्र, धनुष, कुम, घालु, वैतरणी, खरस्वर और महाघोष-इस प्रकार ये १५ हैं । (सधस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो मत्तिभाग पलिओषम ठिई पण्णचा, अहावचामिण्णायाण देवाण एगं पलिमोवम ठिई पण्णत्ता एव महिढीए जाव जमे महाराया) देवेन्द्र देवराज शक्रके लोकपाल इन यम महाराजकी स्थिति त्रिसहित एक परयोपमकी है। तथा अपत्यरूपसे अभिमत देयोंकी स्थिति एक पल्योपमकी है। ऐमी पड़ी भारी ऋद्धिषाला यावत् ये यम महाराज हे ॥ अमिण्णाया होत्या) देवन्द्र देवराल usu asia यम महारान पुनस्थानीय यो नाचे प्रभारे -'भये, भपरिसे चेव, सामे सपछे, ति यावरे, रुदो वरुदे, काळे य, महाकाले ति यापरे, असिपचे, पण्कमे, पाल, वेयरणी चि य, खरस्सरे, महायोसे, एमेए पसरसाऽऽरिया) 10. नविष, श्याम, समस, ot, 840 , Hansrm, असिपत्र, धनुष, ४, माg, त२०ी, म२२१२ बने Hot છેષ એ ૫દર છે __(सफस्स ण देविंदस्स देवरग्णो जमस्स महारणो सचिभाग पलिमोषम ठिई पण्णचा, भाववामिण्णायाणं देवाण एग पलिभोवमं ठिई पप्णता एवं महिीए जाप अमे माराया) देवन, वरा Anasua यम मानी સ્થિતિ વિભાગ સહિત એક પોપમની છે, તથા યમ મહારાજના પુત્ર સ્થાનીય દેવની સ્થિતિ એક પલ્યોપમની છે ઘમ મહારાજ એવી મહાઅદ્ધિ આદિધી સંપન્ન છે