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________________ सुधा टीका स्था०५ ३० १२०२२ परीषद्सहननिरूपणम् ५९१ रुभइ वा छविच्छेयं करेइ वा, पसारं वा नेइ उदवेइ वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा अच्छिदइ वा विच्छिद वा दिइ वा अवहर वा १। अक्खाइट्टे खलु अयं पुरिले, तेणं मे एस पुरिसे अक्कोस वा तहेव जाव अवहरइ वा २ ममं च तव्भवणिजे कम्मे उदिष्णे भवइ, तेण से एस पुरिसे अक्कोस वा जाव अवहरइ वा ३ ममं च षणं सम्मं असहमाणस्स अक्खममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासमाणस्स किं मन्ने कज्जइ १, एगंतसो मे पावे कम्मे कजइ ४ ममं चणं सम्मं सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स किं मन्त्रे कज्जइ ?, एतसो मे निज्जरा कज्जइ । इच्चे एहिं पंचहि ठाणेहिं छउमत्थे उदिपणे परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा । पंचहि ठाणेहिं केवली उदिष्णे परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेजा, तं जहा - खित्तचित् खलु अयं पुरिसे, तेण मे एस पुरिसे अकोस वा तहेव जाव अवहरइ वा ? | दत्तचित्ते खल अयं पुरिसे, तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा २ जसा खलु अयं पुरिसे, तेण मे एल पुरिसे जाव अवहरइ वा ३। ममं णं तब्भववेयणिजे कम्मे उइषणे भवइ, तेण से एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ४। ममंच णं सम्मं सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहिया सेमाणं पासित्ता बहवे अण्णे छउ मत्था समणा णिग्गंथा उदिष्णे उदिष्णे परीसहोवसग्गे एवं सम्मं सहिस्संति
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
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