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________________ स्थानाशस्त्र पण्णता, तं जहा--इत्थीणं जाइकहा १, इत्थीणं कुलकहा २, इत्थीणं रूवकहा ३, इत्थीणं णेवत्थकहा ४ ॥२॥ भत्तकहा चउविहा पण्णत्ता, तं जहा--भत्तस्स आवावकहा १, भत्तस्त णिवावकहा २, भत्तस्स आरंभकहा ३, भत्तस्स णिटाणकहा ।।३। देसकहा चउबिहा पण्णत्ता, तं जहा--देसविहिकहा १, देसविकप्पकहा २, देसच्छंदकहा ३, देसणेवत्थकहा ४ ॥४॥ रायकहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा रन्नो अइयाणकहा १, रन्नो निजाणकहा २, रन्नो बलवाहणकहा ३, रन्नो कोस. कोटागारकहा ४ । ॥ ५॥ चउविहा धम्मकहा पण्णत्ता,तं जहा--अक्खेवणी १,विक्खेवणी २, संवेयणी ३, णिवेयणी ४ ।। अक्खेवणीकहा चउ. ठिवहा पण्णत्ता, तं जहा -आयार अक्खेवणी १, ववहार अक्खेवणी २, पण्णत्ति अक्खेवणी ३, दिट्रिवाय अक्खेवणी ४॥२॥ विक्खेवणी कहा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा--ससमयं कहेइ, ससमयं कहित्ता परसमयं कहेइ १, परसमयं कहित्ता ससमयं ठावयित्ता भवइ २,सम्मावायं कहेइ, सम्मावायं कहिता मिच्छावायं कहेइ ३, मिच्छावायं कहित्ता सम्मावायं ठावइत्ता भवइ ४।३ । संवेयणी कहा चउठिवहा--पण्णत्ता, तं जहा--इहलोगसंवेयणी १, परलोगसंवेयणी २ आयसरीरसंवेयणी ३, परसरीरसंवेयणी ॥४॥
SR No.009308
Book TitleSthanang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size47 MB
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