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सुधा टीका स्था०४३०१ २० २ वृक्षदृष्टान्तेन पुरुषादिनिरूपणम् ३८९
अथ ऋजुचक्रपूर्वकमनोघटितचतुर्भङ्गी-७ ऋजुन मैक ऋजुमनाः १, ऋजुर्नामैको वक्रमनाः २, वक्रो नामैक ऋजुमनाः ३, वक्रो नामैको वक्रमनाः ४।७॥
अथ ऋजुवक्रपूर्वकसंकल्पघटितचतुर्भङ्गी-८ ऋजुर्नामैक ऋजु संकल्पः १, ऋजुर्नामको वक्र संकल्पः २, वक्रो नामैक जु संकल्पः ३, वक्रो नामैको वक्रसंकल्पः ४॥ ८॥
अथ ऋजुवक्रपूर्वक प्रज्ञाघटितचतुर्मङ्गी-९ ऋजु मैक ऋजुप्रज्ञः १, ऋजुर्नामैको वक्रमज्ञः २, वनो नामैक ऋजुप्रज्ञः ३, वक्रो नामैको वक्रप्रज्ञः ४॥ ९॥
अथ ऋजुचक्र पूर्वकदृष्टिघटितचतुर्भङ्गी-१० ऋजुर्नामैक ऋजुदृष्टिः १, ऋजुर्नामैको वक्रदृष्टिः २, वक्रो नामैक ऋजुरष्टिः ३ः, वक्रो नामको वक्रदृष्टिः । १०॥ प्रकार से हैं-उन्नत उन्नत मन-१ उन्नत प्रणत मन-२ प्रणत उन्नत मन ३ और प्रणत प्रणत मन-४ यह सातवां सूत्र है। ८-आठवां सूत्र इस प्रकार से हैं-उन्नत उन्नत सङ्कल्प-१ जन्नत प्रणत सङ्कल्प-२ प्रणत उन्नत सङ्कल्प-३ और-प्रणत प्रणत सङ्कल्प-४९ नवमां चतुर्भजी का सत्र इस प्रकार से हैं-उन्नत उन्नत प्रज्ञा-१ उन्नत प्रणत प्रज्ञा-२ प्रणत उन्नत प्रज्ञा ३ और प्रणत प्रणत प्रज्ञा-४ १० दशवां चतुर्भङ्गी का सूत्र इस प्रकार से है उन्नत उन्नत दृष्टि-१ उन्नत प्रणत दृष्टि-२ प्रणत उन्नत दृष्टि ३ प्रणत प्रणत दृष्टि-४ । ग्यारहवां ११ चतुभङ्गी का सूत्र इस प्रकार है-उन्नत, उन्नत शीलाचार-१ उन्नत प्रणत शीलाचार-२ प्रणत उन्नत
सातभा सूत्रना यार Hin-(१) उन्नत जन्नत भन, (२) Brid-प्रत भन, (3) प्राणुत-उन्नत भन मन (४) प्रशुत-प्रत मन.
माम सूत्रना यार मांगा-(१) Grनत-नत ६५, (२) उन्नत-प्रयत स४६५, (3) प्रयत-उन्नत स४६५ मने (४) प्रयत-प्रत '४६५
नवमा सूत्रता यार Hin-(१) Grnd-Grna प्रज्ञा, (२) Grnd-प्रात प्रज्ञा, (3) प्रयत-3rd प्रज्ञा मन (४) प्रशुत-प्रत प्रज्ञा.
सभा सूत्रना यार Hin-(१) जन्नत-Grनत टि, (२) उन्नत-प्रात Fष्ट, (3) प्रयत-उन्नत टि भने (४) प्रयत-प्रयत टि.
मनियारमा सूत्रता यार Hin-(१) Grld-Grनत शासायार, (२) उन्नत