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सुधा रीका स्था० उ०१ १.२४-२५ विगताबदिनिस्पणम् विगताची निरूपयति--
मूलम्-एगा विगयच्चा ॥ सू० २४ ॥ छाया--एका विगतार्चा ॥ सू० २४ ॥ व्याख्या--'एगा विगयच्चा' इत्यादि--
विगतार्चा-विगतस्य-विगमतो-मृतस्य जीवस्य अर्चा शरीरं, सा एका। एकत्वं सामान्यनयमाश्रित्य ।। मु० २४ ॥
गति निरूपयति--
मूलम्-एगा गई ।। सू० २५॥ छाया--एका गतिः ।। सू० २५ ॥ व्याख्या--' एगा गई ' इति ।
गतिःम्मरणानन्तरं मनुजभवाद नारकादी जीवस्य गमनम् , सा च एका-3 एकत्वसंख्याविशिष्टा । एकस्य जीवस्य एकदा ऋज्वादिका नरकगत्यादिका वा
टीकार्थ-विगम का नाम विगति है अर्थात् विनाश उत्पत्ति की तरह इसमें भी एकता है ऐसा जानना चाहिए ॥०२३।।
विगतार्चा का निरूपण किया गया है। 'एगा विगयच्चा' इत्यादि ॥२४॥ मूलार्थ-विगतार्चा एक है ।२४॥
टीकार्थ-विगतार्चा-मरे हुए जीव का शरीर सामान्य नय की अपेक्षा से एक है ॥सू०२४॥
गति का निरूपण किया जाता है । 'एगा गई' इत्यादि ॥२५॥ मूलार्थ-गति एक है ।२५। सूत्रा--विशति मे छ. ॥ २३ ॥
ટીકાઈ–-વિગમને વિગતિ કહે છે. તે ઉત્પત્તિના વિપક્ષરૂપ છે. ઉત્પત્તિની જેમ વિગતિમાં પણ એકતા છે એમ સમજવું.
विगतार्यानु नि३५-- "एगा विगयच्चा" त्याहि ॥ २४ ॥ સૂત્રાર્થ–-વિગતાએં એક છે. જે ૨૪ છે
ટકા–વિગતાચ એટલે મરી ગયેલા જીવનું શરીર, સામાન્યનયની अपेक्षा मे छे. ॥ २४ ॥ गतिर्नु नि३५--" एगा गई" या6ि ॥ २५ ॥ सूत्रा--गति से छ. ॥ २५ ॥