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________________ मादित्रा -'ने कालेन ते समपणे इत्यादि। मम्-नवां कालेणं ते समएवं रायगिहे णामं नयरे होत्या, रितस्थिभियसमिद्धे वणओ जाव पडिस्वे, तस्स णं रायगिहस्त नयरस्स बाहिरिया उत्तरपुरथिमे दिसीमागे एत्थ of नालंदा नामं वाहिरिया होत्या, अणेगभवणसयसन्निविद्या जाद पडिरूवा ॥सू०१॥६॥ या--तस्मिन काले तस्मिन् समये रानगृह नाम नगरमामीन्, ऋद्वस्ति मिनमर्गको यावत्यनिरूपम् । तस्य रामगृहस्य नगरस्य बहिः उत्तरपौरस्त्ये दिगाना, व मनु नारदानामबाहिरका आसीन , अनेनाभवनशतसभिविष्टा यानमतिकपा 12-६८!! दा-'त काले नम्मिन् काले-उपदेष्टुमहावीरस्य य उपदेशकालात. स्मिन ले ममा तस्मिन् समये-कालस्यत्र विभागविशेषः समयस्तस्मिन् पनि नाम नया हो या राजगृह नाम नगरमामीन-रानो नगरं राजनगरम्, मृदान गजे. या नद्रानाम् तदारय नगरमासीत् । अस्य या ग्रन्थान्तरादामेगा । ननु-नादानीमपि यत् यासादिति भूनकादिकमयोग गहालगी गादि। टोहा- उन हाल में प्रति उपक्षेष्टा भगवान महावीर के उप हालनाउन ममप में प्रधांत उमाकाल के उस विभाग विजाप में उस समर पर, राजग नामक नगर पा । जिम नगर में नाममान अधीन अति नप रहो वा राजगृह का नाना३ परनामनामनगर सही निमार है। का जगर नगर तो म मनग मी विदामान है, फिर anामीन-जनका का प्रयोग को किया गया?
SR No.009306
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages791
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size45 MB
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