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________________ - ७८ सूत्रकृतास्त्र मूलम्-गिह दीवमपाता, पुरिसादाणिया नरा। ते वीरा बंधणुम्मुक्का, लावखंति जीवियं ॥३४॥ छाया--गृहे दीपमपश्यन्तः पुरुपादानीया नराः। ते वीरा बन्धनोन्मुक्ता नाऽवकांक्षन्ति जीवितम् ॥३४॥ अन्वयार्थ:--(गिहे दीवमपासंता) गृहे-गृहवासे दीपं-भावदीपं श्रुतज्ञानलाभात्मकम् अपश्यन्त:-अमाप्नुवन्तः (नरा) नराः (पुरिसादाणिया) पुरुषादानीया:-पुरुषाणां-मुमुक्षूगाम् आदानीया:-आश्रयणीया भवन्ति (वंधणम्मुक्का ते वीरा) बन्धनोन्मुक्ताः वन्धनेन सबाह्याभ्यन्तरेण पुत्रकलत्रादिस्नेहेन प्रावल्येन मुक्ता बन्धनोन्मुक्ताः सन्तः (जीवियं) जीवित-जीवनम् (नावखंति) नावकाक्षन्ति नाभिलपन्तीति ॥३४॥ गिहे दीरमपासंता' इत्यादि। शब्दार्थ--'गिहे दीवमपासंता-गृहे दीपमपश्यन्तः' गृहवासमें ज्ञान प्राप्ति का लाभ न देखते हुए 'पुरिसा दाणियानरा-पुरापोदानीयाः नराः' मुमुक्षु पुरुषों के आश्रय लेने योग्य होते हैं 'वंधणुम्मुक्का ते वीरा-बंधनोन्मुक्ताः ते वीराः' बन्धन से मुक्त वे वीरपुरुष 'जीवियं-जीवितं' असं. यमी जीवनकी 'नावकंखंति-नावकांक्षन्ति':इच्छा भी नहीं करते हैं ॥३४॥ अन्वयार्थ-गृह में दीपक न देखने वाले अर्थात् गृहस्थावस्था में श्रुतज्ञान का लाभ नहीं हो सकता, ऐसा सोचने वाले जो दीक्षा अंगीकार कर के उत्कृष्ट गुणों को प्राप्त करते हैं, वे पुरुषों के आश्रयणीय पन जाते हैं बाह्य और आन्तरिक बन्धकों से अथवा पुत्र कलत्र आदि 'गिहे दीवमपासंता' त्या शहाथ-- गिहे दीवमपासंता-गृहे दीपमपश्यन्तः शासमा ज्ञान प्रातिना aun न याथी 'पुरिसादाणिया नरा-पुरुषादानीयाः नरा.' मुमुक्षुधु३क्षांना माश्रय देवा योग्य माय छे. 'बंधणुम्मुक्का ते वीरा-बंधनोन्मुक्ताः ते वीराः' म धनी भुत सेवा ते वा२ ५३५ 'जीविय-जीवित” ससयम पनने 'नावकखंति-नावकाक्षन्ति' । ५२ ४२ता नथी ।।३४॥ અયાર્થ–ઘરમાં દીવાને પ્રકાશ ન જોનારાઓ અર્થાત ગૃહસ્થ અવસ્થામાં યુન જ્ઞાનને લાભ પ્રાપ્ત કરી શકાતું નથી એવા પ્રકારને વિચાર કરવાવાળાઓ દીક્ષાને સ્વીકાર કરીને જે શ્રેષ્ઠ ગુણેને પ્રાપ્ત કરે છે, તેઓ પુરૂષના આશ્રય સ્થાન બની જાય છે. બાહ્ય અને આંતરિક એટલે કે-બહારના અને અંદરના
SR No.009305
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages596
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size33 MB
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