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________________ समयार्थयोधिनी टीका प्र. श्रु. अ.३ उ.४ मार्गस्खलित साधुमुद्दिश्योपदेशः १४१ - तदेव स्पष्टयति-'अभुजिया' इत्यादि । मम्-अभुजिया नमी विदेही रामयुत्ते ये सुंजिया । बाहुए उदगं भोच्चा तहा नारायणे रिसी ॥२॥ - छाया--अभुक्त्वा नमिदेही रामगुप्तश्च भुक्त्वा । .: वाहूक उदकं भुक्त्वा तथा नारायण ऋषिः ॥२॥ ___ अन्वयार्थ:-(नमी विदेही अधुंजिया) नमिर्वैदेही अभुक्त्वा-विदेहरानानमिराहारं परित्यज्य (य) च (रामगुत्ते झुंजिया) रामगुप्तो भुक्त्वा (वाहुए) बाहुकः एतन्नामा कश्चित् (उदगं) उदकं-शीतं जलं (भोच्चा) भुक्त्वा -शीतजलं पीत्वा (तहा) तथा (नारायणे रिसी) नारायणः ऋषिः शीतं जलं पीत्वा मोक्षं माप्तवानिति कथयति ॥२॥ इसी तथ्य का स्पष्टीकरण करते हैं-'अभुंजिया' इत्यादि । शब्दार्थ--'नमी विदेही अभुजिया-नमिवदेही अभुक्त्वा' विदेह देशका अधिपति नमि राजाने आहार छोडकर 'य-च' और 'रामगुत्ते भुजिया-रामगुप्तो भुक्त्वा रामगुप्तने आहार करके 'बाहुए-घाहुकः' बाहुकने 'उदगं-उदकम्' शीतल जलका 'भोच्चा-भुक्त्वा सेवन करके 'तहा-तथा' इसी प्रकार 'नारायणे रिसी-नारायण ऋषिः' नारायण ऋषिने 'उदय-भोच्चा-उदकं भुक्त्वा' शीतल जलका पान करके मोक्ष प्राप्त किया था ऐसा कहते हैं ॥२॥ ___ अन्वयार्थ--विदेह जनपद के राजा नमि आहार का त्याग करके रामगुप्त आहार का उपयोग करके, बाहुक सचिस जलका लेवन करके तथा नारायण ऋषि भी शीतल जल पीकर मोक्ष को प्राप्त हुए हैं ॥२॥ मे पातनु वधु १५०टी४२९ ४२ता तशा छ है-'अभुंजिया'- त्याह साथ-'नमी विदेही अभुंजिया-नमिदेही अभुक्त्वा' वह देशना ' अधिपती नभी शनये माडा२ छ।डीने 'य-च' मने 'रामगुत्ते मुंजिया-राम गुप्तो भुक्त्वा रामगुप्त मा.२ ४ीन 'वाहुए-बाहुकः' मा 'उद्ग-उदकम्' शीतल पाणीनु भोच्चा-भुक्त्वा' सेवन ४री तहा-तथा' मा प्रकारे 'नारायणे-नारायण ऋषिः' नाशय ऋषिये 'उदयं भोच्चा-उदकं भुक्त्वा' शीत પાણીનું પાન કરીને મોક્ષ પ્રાપ્ત કર્યો હતે. એવું કહે છે. મારા સૂત્રાર્થ—વિદેહ જનપદને રાજા નમિ આહારને ત્યાગ કરીને, રામ 'ગુપ્ત આહારને ઉપભેગ કરીને, બાહક સચિત્ત જલનું સેવન કરીને તથા નારાયણ ઋષિ પણ સચિત્ત જળનું સેવન કરીને મુક્તિ પામેલ છે. પરા
SR No.009304
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages730
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size46 MB
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