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· · आचाराने
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शब्दोऽन्धकार उद्योतः प्रभा छाया आतप इति या । वर्णरसगन्धस्पर्शाः पुद्गलानां तु लक्षणम् । इति च्छाया ।
"छायाऽऽतयुत्ति" इत्यत्र इति' शब्द आयर्थकः । तेनैव वर्णादीनां ग्रहणेऽपि पुनरुपादानं नित्यसहभावित्ववोधनार्थम् । ____ तत्र वर्णः पञ्चधा, कृष्ण-नील-लोहित-पीत-शुक्र-भेदात् । गन्धो द्विविधः-सुरभिरसुरभिश्च । रसः पञ्चविधः-तिक्त-कटु-कपापा-म्ल-मधुर-भेदाद । स्पर्शोऽष्टधा-कठिन-मृदु-गुरु-लघु-शीवो-ग्ण स्निग्ध-रुक्ष-भेदात् । संस्थान पञ्चविधम्-वृत्त-व्यस-चतुरस्र-ऽऽयत-परिमण्डल-भेदात् ।
पुद्गल विभाग:पुद्गलः संक्षेपतो द्विविधः-परमाणु-कंधभेदात् । ___ वर्ण पांच प्रकार का है-काला, नीला, लाल, पीला, और सफेद । सुगन्ध दुर्गन्ध के भेद से गन्ध दो प्रकार का है । रस के पांच भेद हैं--तीखा, कडुआ, कषैला, खट्टा, और मीठा । स्पर्श के आठ भेद हैं-~-कठिन, कोमल, भारी, हल्का, शीत, उष्ण, चिकना, और रूखा। संस्थान पांच प्रकार का है-वृत्त ( गोल ), त्र्यख (तिकोना), चतुरस्त्र (चौकोर ), आयत (लम्बा ) और परिमण्डल-(गोल-मटोल ).
पुद्गल के भेदसंक्षेप से पुद्गल के दो भेद हैं-परमाणु और स्कन्ध ।
વર્ણ પાંચ પ્રકારના છે-કાળ, લીલો, લાલ, પીળે અને છે. સુગંધ અને દુધના ભેદથી ગંધ બે પ્રકારના છે. રસના પાંચ ભેદ છે-તી, , કષાયેલો, भारी भने भाठा, २५र्शना मा से छे-४, म, मारी, सी, शत, g, ચિકણે અને રૂક્ષ. સંસ્થાન પાંચ પ્રકારનાં છે-વૃત્ત-ગળ, ત્રિકેણ, ચતુષ્કોણ, सांमु भने भटोग.
पुगतान . सपथी पुसिना मे मे छ-(१) परभा भने (२) २४.