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________________ परिशिष्ट : प्रयुक्त अन्य सूची ६६ मंत्री, श्रीगणेश प्रसादवर्णी जैन ग्रंथमाला, १/१२८, ड्रमरॉव कोलोनी, अस्सी, वाराणसी-५. बी.नि.सं. २५०२ ★ जैन धर्म में अहिंसा डॉ. वशिष्ठनारायण सिन्हा पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, जैन इंस्टिट्यूट, हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी-५. ई.स.१९७२ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग-२,३) क्षुल्लक जिनेन्द्रवर्णी भारतीय ज्ञानपीठ, लोदी रोड़, नई दिल्ली-३. ई.स. १९४४ ★ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज डॉ. जगदीशचंद्र जैन चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी-१. ई.स. १९६५ ★ जैन धर्म की मौलिक उद्भावनाएँ आचार्यप्रवर श्री जीतमलजी महाराज जयध्वज प्रकाशन समिति, चेन्नई, श्रीजयमल जैन ज्ञान भण्डार, कालाभाटा, पीपाड़शहर (जोधपुर-राजस्थान). ई.स. १९७६ है जैन अंग शास्त्र के अनुसार मानव व्यक्तित्त्व का विकास डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन सन्मति ज्ञान पीठ, लोहामंडी, आगरा-२. ई.स. १९७४ |★ जैन लक्षणावली सम्पादक- बालचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली-६. ई.स. १९७२ जेना हैये श्रीनवकार, तेने करशे शं संसार? श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य-प्रशिष्य श्रीकस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट, १०२,लक्ष्मी एपार्टमेंट, डॉ. एनीबेसेन्ट रोड़, बरली, मुंबई-१८. वि.सं.२०४७ जैन धर्म में तप : स्वरूप और विश्लेषण मरुधरकेसरी श्री मिश्रीमलजी म. 503
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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