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________________ प्रकाशकीय उज्ज्वल-धर्म-प्रभाविका परमविदुषी महासतीजी डॉ. धर्मशीलाजी म., एम. ए., पीएच. डी. द्वारा डी. लिट् हेतु लिखित “ णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन" नामक विशाल ग्रंथ को 'उज्ज्वल धर्म ट्रस्ट, मुंबई' तथा 'श्री एस. एस. जैन संघ, अयनावरम्, चेन्नई' की ओर से प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है। महासती डॉ. श्री धर्मशीलाजी म का यह ग्रंथ जैन विद्या के क्षेत्र में उनकी वास्तव में अनुपम देन है । जैन दर्शन अत्यन्त गहन है। उसके सूक्ष्म तत्त्व विश्वजनीन हैं, सर्वकल्याणकारी हैं। जैन तत्त्वों पर आज व्यापक रूप में अध्ययन, मनन और अनुसंधान की अत्यन्त आवश्यकता है। महासतीजी ने इस ग्रंथ द्वारा जो इसकी पूर्ति की है, वह वास्तव में स्तुत्य है । इस ग्रंथ के प्रकाशन में चेन्नई महानगर के तथा बाहर के उदारचेता धर्मानुरागी महानुभावों ने जो सहयोग किया, वे सादर धन्यवाद के पात्र हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण तात्त्विक ग्रंथ है। जैन दर्शन, णमोकार महामंत्र तथा सिद्ध-पद के जिज्ञासुओं, अध्येताओं एवं अनुसंधाताओं के लिए यह बहुत ही लाभप्रद सिद्ध होगा, ऐसा विश्वास है । डॉ. धीरेन्द्र एम. गोसलिया अध्यक्ष उज्ज्वल धर्म ट्रस्ट, मुंबई 3 देवराज बोहरा अध्यक्ष श्री एस. एस. जैन संघ, अपनावरम्, चेन्द्रं
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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