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________________ ३९१ mr mr mr rom m m mm ३८३ 0 WW0000 m ३८३ ३८३ 100 SAHIREMENTS mr mr mmm Mmm Mmm mmm ३८५ बलादृष्टि आसन-स्थान स्थान के भेद ऊर्ध्व स्थान निषीदन-स्थान शयन-स्थान योगशास्त्र में आसनों का निरूपण योगसूत्र में आसन : परिभाषा एवं सिद्धि गीता में आसनों की चर्चा हठयोग में आसनों का विस्तार गीता में राजयोग का निरूपण बलादृष्टि की विशेषताएं दीप्रादृष्टि प्राणायाम का स्वरूप प्राणायाम के प्रकार योग-सूत्र में प्राणायाम दीप्रादृष्टि की विशेषताएं स्थिरादृष्टि प्रत्याहार का लक्षण प्रत्याहार और प्रतिसंलीनता का समन्वय कांतादृष्टि धारणा का लक्षण कांतादष्टि की विशेषताएं 6 ३८२ (अनासक्त कर्मयोग के साथ समन्वय प्रभादृष्टि योगसूत्र में ध्यान ३८३ परादृष्टि योगसूत्र में समाधि परादृष्टि की विशेषताएं परम निर्वाण : सिद्धत्व-प्राप्ति मुक्त-तत्त्व-मीमांसा ३८४ योगविंशिका में योग का विवेचन योगसिद्धि ३८५ योगियों के भेद ३८६ कुलयोगी ३८७ कुलयोगियों की विशेषता ३८८ गोत्रयोगी | प्रवृत्तचक्र-योगी ३८९ योगदृष्टि समुच्चय की उपयोगिता ३८९ सत्-तत्त्वाभिरुचि का वैशिष्ट्य सहजाभिरुचि ध्यान का विश्लेषण योगशास्त्र में ध्यान ध्यान की योग्यता ३९० ध्येय का स्वरूप पिंडस्थ ध्यान एवं धारणाएं ३९१ पार्थिवी धारणा ३९१ / आग्नेयी धारणा ३९८ ३९८ ३८८ ० ४०१ ४०२ ४०२ ० ३८९ ० ० MANISHABHARATI ३८९ ३९० ० ३९० ४०४ ४०४ ४०४ ४०५ ४०५ 30
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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