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जैसा मैंने माना
जैसा मैं मानता हूं, वैसा हूं मैं जानता, और उसी का है वेदन मानता हूं मैं शरीर, मैं जानता मुझ शरीर को ही फिर तो वेदन भी है शरीर का और संबंध का ही.
जैसा मैं मानता हूं, वैसा हूं मैं जानता, और उसी का है वेदन मानता हूं मैं आत्मा, मैं जानता मुझ आत्म तत्व को ही फिर तो वेदन भी है वीतराग भरा अबद्ध, अरागी का ही.
जैसा मैं मानता हूं, वैसा हूं मैं जानता, और उसी का है वेदन मानता हूं मैं कर्ता, जानता मुझ कर्मों को ही फिर तो वेदन भी है कर्तापने का ही, कर्मों के फलों का ही.
जैसा मैं मानता हूं, वैसा हूं मैं जानता, और उसी का है वेदन मानता हूं मैं अकर्ता, नहीं जानता मेरा कोई भी कर्म फिर वेदन भी है अकर्ता का, असंयोगी का, अबद्ध का ही.
जैसा मैं मानता हूं, वैसा हूं मैं जानता, और उसी का है वेदन मानता हूं मैं क्षणिक, नहीं जानता मेरे त्रिकाल स्वभावको ही फिर वेदन भी है मुझ परिणमन में, अनंत बदलते रागों का ही.