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एक समय
एक समय में यह घरबार जानने वाला मैं नहीं
मैं कभी भी घर, नगर वाला बनता भी नहीं
एक समय में यह शरीर जानने वाला मैं नहीं मैं निरोगी, रोगी, बच्चा, जवान, वृद्ध होता ही नहीं एक समय में यह शरीर के संबंध जानने वाला भी नहीं मैं माँ / बाप, भाई / बहन, लडकी / लड़का भी नहीं
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एक समय में रागादि भाव जानने वाला मैं नहीं भाव भले होते मुझमें पर एक ही समय के हैं
एक समय जितना ज्ञान भी तो मैं नहीं जो टिकते नहीं उस रूप के भाव भी मैं नहीं जाननेवाला एक समय में कभी भी पूरा आता ही नहीं
परन्तु एक समय में भी मैं ही जाननहार हूं एक समय का जाननेवाला पूर्ण ज्ञायक प्रभु हूं
एक समय में मैं जान लूं भले दुनिया को मैं तो इस दुनिया से विरक्त वीतरागी एक चैतन्य अनंत गुणों का एक ही रूप हूं
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