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मैं द्रव्य हूं
मैं जीव द्रव्य हूं और मेरी कथा तो शुरू भी होती है द्रव्यानुयोग से ही, और पूरी भी द्रव्यानुयोग में ही
मैं ज्ञानस्वरूप, मैं तो अपने ही अनंत गुणों में रमणता हूं, मुझे प्रथमानुयोग जानना जरूरी नहीं, मैं ज्ञानस्वरूप, कर्मो, पुद्गल से पूर्णतया ही सर्वथा भिन्न हूं, मुझे करणानुयोग जानना जरुरी नहीं, मैं ज्ञानस्वरूप स्वयं को स्वयं का मान जान स्वयं में एकाग्र, मुझे चरणानुयोग जानना जरुरी नहीं.
मैं जीव द्रव्य हूं और मेरी कथा तो शुरू भी होती है द्रव्यानुयोग से ही, और पूरी भी द्रव्यानुयोग में ही
मुझे शुभाशुभ राग भी होते हैं, इसीलिये पूज्य गुरु ने मुझे बड़ी ही करुणा से प्रथमानुयोग, करणानुयोग
और चरणानुयोग समझाये हैं, और मुझे मेरी ही कथा पूज्य गुरु ने बहुत ही विस्तार से बताई है, मुझे बाहर कहीं भी, कभी भी, भटकना नहीं, मैं गुरु को पूर्ण समर्पित ही स्वयं को जान मान पाया हं.
मैं जीव द्रव्य हूं और मेरी कथा तो शुरू भी होती है द्रव्यानुयोग से ही, और पूरी भी द्रव्यानुयोग में ही.
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