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।।नमस्कारफलम्।।
नत्वा वीरं गुरुं भक्त्या जननी जनकं तथा।
रच्यते बालबोधाय नमस्कारफलं मया।।१।। भक्तिपूर्वक भगवान् महावीर, गुरु एवं माता-पिता को प्रणाम करके बालजीवों के ज्ञान हेतु नमस्कार फल की रचना करता हूँ।।१।।।
धनधान्यविवृद्धिश्च सौभाग्यं सुखसम्पदः।
यथेष्टवस्तुलाभो वै नमस्कारस्य सत्फलम्।।२।। धन-धान्य की वृद्धि, सौभाग्य वृद्धि, सुख सम्पति तथा इष्ट वस्तुओंका लाभ नमस्कार महामन्त्र का फल है।।२।।
सर्वसङ्कल्पसिद्धिश्च सर्वव्याधिविनाशकम्।
दीर्घमायुर्यशः कीर्तिनमस्कारस्य सत्फलम्।।३।। सभी प्रकार के मनोरथों की सिद्धि, सभी व्याधियों से मुक्त, दीर्घायुष्य, यश एवं कीर्ति नमस्कार का फल है।।३।।
दारिद्यशमनं चैव दुर्नीतिनाशनं तथा।
दुःखदौर्भाग्यनाशश्च नमस्कारस्य सत्फलम्।।४।। दरिद्रता का नाश, दुर्नीति (दुष्ट स्वभाव, ईर्ष्या) का नाश, दुःख एवं दुर्भाग्य का नाश यह नमस्कार महामन्त्र का फल है।।४।।
स्तम्भनं परमन्त्रानां त्रैलोक्यमोहनं तथा।
निग्रहो भूतप्रेतानां नमस्कारस्य सत्फलम्।।५।। दूसरों के मन्त्र प्रभाव को दूर से रोकना, तीनों लोक को आकर्षित करना