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प्रशमरतिप्रकरणम्
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१२९ उ
مو مو په له مو مو به مو مو به
२५० पू १५२ उ ३१० पू
२ पू २०३ उ १९० पू १८९ पू २१० पू
क्षपयितुमेको यदि क्षान्तिबलमार्दवा क्षित्यम्बुवह्निपवनतरवस्त्र क्षीणचतुष्कर्मांशो
[ग] गतिपरिणामाच्च तथा गतिविभ्रमेङ्गिताकार गन्धभ्रमितमनस्को गर्वं परप्रसादात्मकेन गलयन्त्रपाशबद्धो गुणवदमूच्छितमनसा गुरुवदनमलयनिसृतो गुर्वायत्ता यस्माच्छा गोत्रान्तराययोश्चेति ग्रन्थः कर्माष्टविधं ग्रहणोद्ग्राहणनव ग्रहणोपभोगनियतस्य
[च] चक्षुरचक्षुरवधिकेवल चरमभवे संस्थानं चरमे समये चारित्रं विरतानां चारित्रं वीर्य चारित्रमथाख्यातं चारित्रशुद्धमग्र्यामवाप्य चैत्यायतनप्रस्थापनानि
[छ] छद्मस्थवीतरागः
[ज] जन्म समवाप्य जन्मजरामरणभयैर जन्मभिरष्टव्येकैः
२०० पू
२६५ उ | जन्ममरणैरजस्रं बहु १६५ उ
| जातिकुलरूबललाभ १९२ उ जात्यादिमदोन्मत्तः २७१ पू जात्यादिहीनतां
जितलोभरोषमदनः २९४ उ जिनभाषितार्थसद्भाव ४२ पू जिनवरवचनगुणगणं ४३ उ जिनवरवचनादन्यत्र ९४ पू जिनशासनार्णवादाकृष्टां ४४ उ जिनसिद्धाचार्योपाध्यायान् १३६ पू जीवस्यैतत् सर्वं ७० उ | | जीवा मुक्ताः संसारिण ६९ पू जीवाजीवाः पुण्यं ३४ उ जीवाजीवा द्रव्यमिति १४२ पू जीवाजीवानां द्रव्यात्मा ९१ पू
जीवितमरणोपग्रहकराश्च १३४ उ ज्ञात्वा च रागद्वेषा
ज्ञात्वा भवपरिवर्ते १९५ उ ज्ञात्वा योऽभ्यवहार्य २८१ पू ज्ञानं सम्यग्दृष्टेर्दर्शनमथ २८५ पू ज्ञानमथ पञ्चभेदं २०१ उ ज्ञानस्य फलं १९९ उ ज्ञानाऽज्ञाने पञ्चत्रि २५८ उ
[त] २५४ उ तच्चिन्त्यं तद्भाष्यं ३०५ पू तज्जयमवाप्य
तज्जयहेतोरशठं २६८ पू तत् प्राप्य विरतिरत्न
तत्कथमनिष्टविषया ३०० पू तत्कल्प्यमप्यकल्प्यं १५२ पू | तत्र गुरूरिहामुत्र २३३ उ | तत्र परोक्षं द्विविधं
مو مو مو مو په له
२१७ उ २३९ उ
مو به
१३७ उ
२०१ पू
مو ه
२२४ उ
१९५ पू
ه مو
१४७ पू २५८ पू १४२ उ १६४ पू १०५ पू १४४ उ
مو مو به مو مو به له مو
२२५ पू