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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
४ औदारिकमिश्र १ कार्मण २ त्रस जीवना वधनी अविरति १ ए सात टाली बीजी ३९ हुई।
मनुष्यहुई तिर्यंचनी परि ए पाचे गुणठाणे सरीखउं। प्रमत्त गुणठाणई प्रत्याख्यानावरण च्यारि कषाय थाकती इग्यार अविरति ए पनर प्रकृति वर्जी आहारक १ आहारकमिश्र १ ए बि योग सहित २६ हुई। अप्रमत्त गुणठाणइ वैक्रिय मिश्र १ आहारकमिश्र २ ए बि वर्जी २४ हुई। निवृत्ति बादर वैक्रियशरीर १ आहारकशरीर २ ए बि टाली २२ हुई। अनिवृत्ति बादर गुणठाणइ] हास्य षट्क टाली बीजी सोल हुई। सूक्ष्मसंपराय गुणठाणइ त्रिणि वेद अनइ सज्वलन क्रोध १ मान २ माया ३ ए छ प्रकृति टाली १० हुइ। उपशातमोह अनइ क्षीणमोह (गुणठाणइ) संज्वलन लोभ टाली ९ हुई। सयोगि गुणठाणइ औदारिक १, औदारिकमिश्र २, कार्मण ३, सत्य मन ४, असत्यामृषा मन ५ सत्यवचन ६ असत्यामृषा वचन ७ ए सातयोग हुइ। बीजा एकइ कर्मबंधना कारण न हुई तेह भणी एक साता वेदनीय एकई समई बांधिउं बीजइ समइ वेइउं त्रीजइ समइ खिपाइ एव्हडं बांधई। अयोगि गुणठाणइ कांई कर्म न बांधइ तेह भणी एकू कर्मबंधनउं कारण न हुई।
___ नारकीहुई औदारिक १ औदारिकमिश्र २ आहारक ३ आहारक मिश्र ४ पुरुषवेद ५ स्त्रीवेद ६ ए छ प्रकृति टाली थाकती एकावन प्रकृति कर्मबंधनां कारण हुई। सास्वादन गुणठाणइं पांच मिथ्यात्व टाली बीजी ४६ हुई। मिश्र गुणठाणई च्यारि अनंतानुबंधिया वैक्रियमिश्र, कार्मण ए छ टाली ४० कर्मबंधनां कारण हुइ। अविरत गुणठाणइ वैक्रिय कार्मण योग सहित ४२ हुई। देवहुई मिथ्यात्व गुणठाणइ औदारिक १ औदारिकमिश्र २ आहारक ३] आहारकमिश्र ४ ए च्यारि योग टाली बीजां ५२ कर्मबंधना कारण। सास्वादनि गणठाणइ पांच मिथ्यात्व टाली बीजां ४७ हुई। मिश्र गुणठाणइ च्यारि अनंतानुबंधिया ४ वैक्रियमिश्र ४(५) कार्मण ६ ए छ वर्जी बीजी ४१ कर्मबंधना कारण। अविरति गुणठाणइ वैक्रियमिश्र कार्मण सहित ४३ कर्मबंधना कारण हुई। आगिला गुणठाणां देवइहुई नारकीहुई न हुई। इसी परि कर्मबंधना कारण जिहां जेतला हुई ते विचारियां।।
॥ इति मनस्थिरीकरणविचारः।। ।। परमगुरुः भट्टारकप्रभुश्रीगच्छनायक श्री श्री श्री सोमसुन्दरसूरिभिः कृतम्।।
।। शुभं भूयात्।।
१ मुनिलावण्यसागरपठनार्थम् ।। इति संवेगीउपाश्रयगतज्ञानभंडारस्थप्रतौ ।।