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________________ जीवस्थानक सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त द्वीन्द्रिय पर्याप्त द्वीन्द्रिय अपर्याप्त त्रीन्द्रिय पर्याप्त त्रीन्द्रिय अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय पर्याप्त चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त असज्ज्ञि पञ्चे पर्याप्त असजि पचे. अपर्याप्त सञ्ज्ञि पचे पर्याप्त सञ्ज्ञि पथे. अपर्याप्त योग → पृथ्वीकाय V V √ V ४ अप्काय √ V √ ✓ ४ तेजस्काय V V √ √ ४. वायुकाय √ √ √ √ ४ मनः स्थिरीकरणयन्त्रम् - २ पृथिव्यादिषु जीवस्थानानि ( गाथा १० ) वनस्पतिकाय द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय असञ्ज्ञितिर्यक् सञ्ज्ञि तिर्यक् V √ ✓ V ४ V √ v V V २ V √ २ V √ २ मनुष्य v v √ ३ नरक 77 V २ देव V √ योग योग ५ १ २ ४. ४ मन:स्थिरीकरणप्रकरणम् ११३
SR No.009261
Book TitleMan Sthirikaran Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages207
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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