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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
१०७
उद्धरण
गा.क्र.
स्थल
कर्ता
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
३ ध्यानशतक-३५
रत्नसञ्चय-३३२
प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७०१ ९५ प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७०१
प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७३० १५२ बन्धशतकम् -१६
९५
श्यामाचार्य श्यामाचार्य श्यामाचार्य शिवशर्मसू. (स्वयं)
(स्वयं)
शिवशर्मसू.
१५२ बन्धशतकम् -२२ २५ तत्त्वार्थसूत्रम् (२.
उमास्वातिम.
१७
श्रावकप्रज्ञप्ति-२५९
हरिभद्रसू.
निच्चं चिय जुवइ नियदव्वमउव्व नेरइयाउयस्स णं पुच्छा गोयमा! नेरइयाउयस्स णं भंते! केवलइयं नेरयाउयस्स जहन्नेणं दसवास पडणीयमंतराइय उवघाए तप्पओ पढमंतजाइ कुखगइ कुवन्न पणदसि सिगविगलमणा तिन्नि पयईए तणुकसाओ दाणराओ परं परं सूक्ष्ममिति परिसियमुवसेवंतो परिसुद्ध-जलग्गहणं पाणवहाउ नियत्ता पाणिदय-रिद्धिसंदसणत्थ पाणिवहाईसु रओ जिणपूयामोक्ख पिह पिह असंखसमइ पुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा पुढवी आउवणस्सइ गब्भे पुढवीकाइएणं भंते! पुढविकाइयत्ति पुढवीपरिणामाई ताई पुमित्थवेए चरिमचउरोत्ति प्राकृतं बहुलमिति बंध अविरयहे बंधंति देवनारय असंखतिरिनर बंधति म इगविगला वेउव्विय बंधो दुविहो दुपयाणं बारसहठावियाणं पुवुत्तप्पयडि बारसिसिग विगलमणा बावीसं दसिगाउदुवारदुध बावीसं दसिगाओ दुवार बेइंदियस्स दो णाणा बेइंदिया णं भंते किं
नेमिचन्द्रसू
१५२ बन्धशतकम् -२६
शिवशर्मसू. ३१ विचारपञ्चाशिका-३६.विचारसप्ततिका-४५ २८ प्रज्ञापना-पद१९, सूत्र-१४०२ श्यामाचार्य २७ प्रवचनसारोद्धार-११७४ ५४ जीवाभिगम प्र.५, सूत्र-२२८ सुधर्मास्वामी २५ विशेष-णवतिः-७
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ५१ षडशीतिकचूर्णिः ३ सिद्धहेम-८.१.२
हेमचन्द्रसू.क.स.
बृहत्सङ्ग्रहणी-३२७
३१ ७६ १७
(स्वयं)
आवश्यकचूर्णि
७६
(स्वयं)
७६
(स्वयं)
७६
(स्वयं) (स्वयं)
७६ २४ प्रज्ञापनाटीका २४ भगवतीशतक-८३.२, सूत्र-२८
सुधर्मास्वामी