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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
उद्धरण
गा.क्र.
स्थल
कर्ता
श्यामाचार्य
भद्रबाहुसूरि
भद्रबाहसू.म.
नेमिचन्द्रसू. नेमिचन्द्रसू.
शिवशर्मसू. सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी
जेयावन्ने तहप्पगारा
४५ प्रज्ञापना पद-१, सूत्र-६९-९१ जेसिमवड्ढो अपरियट्टो
१७ श्रावकप्रज्ञप्ति-७२,गाथासहस्री-३५० जोएण कम्मएणं
१७ आचारांग नियुक्ति जोगपरिणामो लेसा
२६ प्रतिक्रमणभाष्यम् जोगे जोगे जिणसासणंमि १ ओघनियुक्ति-२७८ जोगो विरियं थामो
पञ्चसङ्ग्रह- ३९६ जोयण सहस्समहियं
प्रवचन सारोद्धार-१०९९ जोयणसहस्समहियं
प्रवचनसारोद्धार-१०९९ जोयणसहस्समेगं गाउयछक्क
ईर्यापथिकीमिथ्यादुष्कृतकुलकम् -५ ठिइघाओ रसघाओ
कर्मप्रकृति-३३३
सम्मुत्तुप्पायकिहीकुलक-१६ ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं ३८ जीवाभिगम प्र.१, सू.२१ तए णं से विजए देवे
३१ जीवाभिगम प्र.३, सू.१४१ तत्थोदारमुरालं तह सोज्झाइ
ध्यानशतक-९८ तावो सोसो भेओ
ध्यानशतक-९९ तावो सोसो भेओ जोगाणं झाणओ १६८ ध्यानशतक-९९ तिरिक्खजोणियाउयस्स जहन्नेणं ९५ प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७१० तिरिक्खजोणियाउयस्स जहन्नेणं ९५ प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७१९ तिरिक्खजोणियाउयस्स जहन्नेणं
प्रज्ञापना पद-२३.२, सू.१७२६ तिरिनरमिहुण सुराउं एकं च्चिय ७६ तिरिया तित्थाहारमिति
७६ तिव्वकसाओ बहुमोहपरिणओ राग १५२ बन्धशतकम् -१९ तिहिं अंतिय विय
१५ धर्मसङ्ग्रहणी-७५२, तीसिसु इगविगलमणा सगंस ७६ तुरि एगिदियबंध पंचमि बेइंदि तुल्लं वित्थडबहुलं उस्सेहबहुं ६२ त्रैलोक्यदीपिका(बृहत्सङ्ग्रहणी)-२६४ ते णं भंते! असन्निपंचेंदिय
५१ प्रज्ञप्ति ते णं भंते जीवा किं नाणी २३ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-२८ ते णं भंते! जीवा कइगइया? ३८ जीवाभिगम प्र.१, सू.४२ ते दोवि तितीसयरे निरए मणूया तेंदियाणां सागरपन्नासाए
७७ प्रज्ञापना पद-२३, सूत्र-१७२१
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण श्यामाचार्य श्यामाचार्य श्यामाचार्य (स्वयं)
९५
प्रश
हरिभद्रसू.
७६
शिवशर्मसू. श्रावक प्रज्ञप्ति-३२ (स्वयं) (स्वयं) जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी
(स्वयं)
श्यामाचार्य