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________________ १०२ मन:स्थिरीकरणप्रकरणम् उद्धरण गा.क्र. स्थल कर्ता ३१ जीवाभिगम प्र.१, सू.४२ इत्थिवेयावि पुरिसवेयावि इय करणवसादागया बंधठिईण इय सव्वगुणाहाणं दिट्ठादिट्ठ सुधर्मास्वामी (स्वयं) ७६ उत्तरपयडि तह दुहा हेऊ य कसाय उपयोगलक्षणो जीव उप्पण्णविगयमीसिय जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण महेन्द्रसूरि अञ्चलगच्छीय उमास्वाति १६८ ध्यानशतकम् -१०५, संबोधप्रकरणम् –१४१९ १०२ मनःस्थिरीकरण-७ २० तत्वार्थाधिगमसूत्रम् -२/८ १७ सम्बोध प्रकरणम् -५६०, दशवैकालिक नियुक्ति १६ आवश्यकनियुक्ति-१०६० १०६,१०७ १५२ बन्धशतकम् -२१ शय्यंभवसू. भद्रबाहुसू. शिवशर्मसू. उभयाभावो पुढवाइएसु उभयाभावो पुढवाइएसुत्ति उम्मग्गदेस-उम्मग्गनासओ उरलं थेवई उरलविउव्वाहारो छण्हवि उवओगलक्खणमणा ३१ विचारपश्चाशिका-३५, विचारसप्ततिका-४४ १७ ध्यानशतकम् -५५, जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, सम्बोधप्रकरणम् -१३६९ हरिभद्रसू. १५ विशेष-णवतिः-६ विशेषावश्यकभाष्यम्-२७३४ जीवाभिगम प्र.१, सू.२५,२६ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण सुधर्मास्वामी २४ भगवतीशतक-८३.२, सूत्र-२७ प्रज्ञापना पद-२३, सूत्र-१७०५ उवसंतं जं कम्म उस्सेहंगुलओ तं होइ ऊसरदेसं दढेल्लयं च एक्कगइया दुआगइय त्ति एग व दो व तिन्नि एगिदिमाइबंधो दुहावि लिहिउ एगिदिया णं भंते एगिदियाणं भंते! जीवा नाणावरणि एयं इगिंदियेहिं लद्धं इणमेव एविगलतिगं अट्ठारा तसचउ एस असंजयसंमो एसे एगिदिय जेट्टोपल्ला संखं औदारिक प्रयोक्ता प्रथमाष्टम कंसपाई व्व मुक्कतोए कंसे संखे जीवे गगणे कजंमि समुपन्ने कप्पेसणं कुमारे माहिंदे (स्वयं) सुधर्मास्वामी श्यामाचार्य (स्वयं) ७६ (स्वयं) ७७ सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार-७५ १२३ प्रशमरतिः-२७५ १७ कल्पसूत्र १७ स्थानाङ्ग-१३८,सू.६९३ उमास्वातिम. भद्रबाहूसूरि सुधर्मास्वामी २७ प्रवचनसारोद्धार११६०,
SR No.009261
Book TitleMan Sthirikaran Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages207
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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