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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
तुरि एगिंदियबंध, पंचमि बेइंदि छठि तेइंदी। सत्तमि चरिंदिठिई, अमणठिई अट्ठमे लिहसु।।२३।।१
यन्त्रकस्थापनेयम्
२२
२
२
१६
प्रकृतीनां संख्या प्रकृत्युत्कृष्ट स्थितयः सागर कोटा(टी)कोटि
१मू
१२ । १२५ । १४
१५ ।
भागहारः सागर ७
७०
७००
७०
७०
| ७०
७००
७०७
सप्तति
कोटिकोटि एकेन्द्रियबन्धः
सप्ततिश | ५*
औ
औ
औ
सप्तति सागरमे
शत्या | भिरपव | रपवर्तने | अपवर्तने तने ३/१४
कृते २८/१/५
नापवर्त ने१/४
द्वीन्द्रियबन्धः
| सा ३ | ४|भा | ४ाभ | साग५ भा४/
त्रीन्द्रियबन्धः
सा ७ ८।भा | ८/भा | सा | १०॥ १०॥
१०/ १०/
१२॥ १२॥ १४॥ २/४ | २०/ २/७
चतुरिन्द्रियबन्धः
सा
१७। १७। । सा
२१
२२
२
अमनस्कतिर्यग बन्धः
| १७१। | २७८। सा | २१४। २२८। । १४२/ भा भा | २०० भा भा भा १५/ १६/ ६/७ ३५ २८
१
२४-२५ तमं गाथाद्वयं न दृश्यते।, + = एकेनापवर्तने कृते * द्वाभ्यामपवर्तने कृते