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कृतज्ञता
श्रुतभवन संशोधन केन्द्र के उपक्रम में शास्त्र संशोधन का विराट प्रकल्प प्रवर्तमान है। इस प्रकल्प में दो कार्य होते हैं।
१) अद्यावधि अमुद्रित शास्त्र का सम्पादन एवं प्रकाशन। २) मुद्रित शास्त्र का समीक्षित पुनःसम्पादन।
इस कार्य में हमें गच्छाधिपति पदारूढ आदि आचार्यभगवंतों की प्रेरणा और आशीर्वाद प्राप्त हुए हैं।
परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय पुण्यपालसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयप्रेमसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयधर्मधुरन्धरसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयनित्यानन्दसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयघोषसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् दोलतसागरसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय राजयशसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म.सा., (अंचलगच्छ) परम पूज्य उपाध्यायश्री मणिप्रभसागरजी म.सा (खरतरगच्छ) हमारे कार्य को शुद्ध और सटीक करने के लिये हमारा निरंतर मार्गदर्शन करते हैंपरम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय मुनिचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय शीलचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा.,