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सेव नारंगी आम्र विजोरा श्रीफल आदिक थाल भराय।
महा मोक्ष फल पाउं याते पूजू पद पंकज में जाय।। श्री सुपाठक परम् मुनीश्वर ध्यावे मन वच काय लगाय।
___ ज्ञान भरो मम उर के मांही याते मैं पूजू तुम पाय।। ऊँ ह्रीं श्री पंचविंशति मूल गुण प्रतिपालकोपाध्याय देवेभ्यो मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति
स्वाहा।।8।।
जल चंदन अक्षत पुष्पादिक व्यंजन नाना भांति बनाय। दीपधूप फल थाल संजोकर अर्घ चढ़ाऊं मनवच काय।। श्री सुपाठक परम् मुनीश्वर ध्यावे मन वच काय लगाय।
ज्ञान भरो मम उर के मांही याते मैं पूजू तुम पाय।। ऊँ ह्रीं श्री पंचविंशति मूल गुण प्रतिपालकोपाध्याय देवेभ्यो अनध्य पद प्राप्तये अध्यं
निर्वपामीति स्वाहा॥9॥
प्रत्येक अध्य (पद्धडी)
जय पहलो आचारंग जान, मुनि पावे व्रत जिसका प्रमाण।
इस अंग तनो जिय होय ज्ञान, सोपाठक होवे सुगुणवान।। ऊँ ह्रीं श्री अरहन्त देव कथित यत्याचार सूचक अष्टादश सहस्र 18000 पद प्रमाणमाचारागस्य ज्ञाता उपाध्याय परमेष्ठिभ्योध्यं निर्वपामीति स्वाहा॥1॥
जय धर्म रूप किरिया विशाल जावर्णी सूत्र कृतांगहाल।
इस अंग तनो जिय होय ज्ञान, सोपाठक होवे सुगुणवान।। ऊँ ह्रीं श्री अरहन्त देव कथित ज्ञरन विनय छेदोपस्थापना क्रिया प्रतिपाद षट्-त्रिंशत सहस्र 36000 पद प्रमाण सूत्रकृतांगस्य ज्ञाता उपाध्याय परमेष्ठिभ्योध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।2।
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