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सोरठा शील शिरोमणि धर्म, शील शाश्वती पद करे। शील हरे सब कर्म, शील जजों यातें सही।। ऊँ ह्रीं श्री शीलव्रतेष्वनतिचार भावायै पूर्णाध्यम्।
5. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग भावना पूजा
6.
(चौपाई) करे निरन्तर ज्ञान अभ्यास, ज्ञान थकी शिवमारग भास।
ज्ञानभावना मंगलदाय, सो मैं थाप जजों श्रुति लाय।। ऊँ ह्रीं श्री ज्ञानोपयोगभावना ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
ऊँ ह्रीं श्री ज्ञानोपयोगभावना ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं श्री ज्ञानोपयोगभावना ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधापनम्।
(चौपाई) क्षीरोदधिको निरमल नीर, कनकझारि को भर हर-पीर।
पूजों ज्ञानभावना सार, ताफल होय जनममृतिछार।। ऊँ ह्रीं श्री ज्ञानोपयोग भावनायै जलम् निर्वपामीति स्वाहा।
चन्दन पावन पावन लाय, धार करों उर भक्ति बढाय।
पूजों ज्ञानभावना सार, तातें भव आताप निवार।। ऊँ ह्रीं श्री ज्ञानोपयोग भावनायै चंदनम् निर्वपामीति स्वाहा।
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