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सौधर्म स्वर्ग के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।21॥ ओं ह्रीं श्री सौधर्मेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
ईशानस्वर्ग के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।22।। ओं ह्रीं श्री ईशानेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
सनतस्वर्ग के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पजा नित्य रचावें।।23।। ओं ह्रीं श्री सनतकुमारेन्द्रण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
माहेन्द्रस्वर्ग के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।24।। ओं ह्रीं श्री माहेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अयम् निर्वपामीति स्वाहा।
ब्रह्मस्वर्ग के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।25।। ओं ह्रीं श्री ब्रह्मेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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