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राक्षसगण के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।16।। ओं ह्रीं श्री राक्षसेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अयम निर्वपामीति स्वाहा।
भूतसुरों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।17। ओं ह्रीं श्री भूतेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
सुरपिशाच के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।18।। ओं ह्रीं श्री पिशाचेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
ज्योतिषियों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।19।। ओं ह्रीं श्री चन्द्रनामकेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अयम् निर्वपामीति स्वाहा।
ज्योतिष देव-प्रतीन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें।
शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।20। ओं ह्रीं श्री भास्करेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय
श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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