________________
निजपरिवार सहित असुरों के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद पंकज की, पूजा नित्य रचावें ॥1॥
ओं ह्रीं श्री असुरकुमारेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
निजपरिवार सहित नागों के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद पंकज की, पूजा नित्य रचावें॥2॥
ओं ह्रीं श्री नागकुमारेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अघ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
निजपरिवार सहित विद्युत के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें ॥3॥
ओं ह्रीं श्री विद्युतकुमारेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। निजपरिवार सहित सुपर्ण के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें॥4॥
ओं ह्रीं श्री सुपर्णकुमारेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
निजपरिवार सहित पावक के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें ॥ 5 ॥
ओं ह्रीं श्री अग्निकुमारेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदा श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
73