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ज्झा-बीजाक्षर को मैं ध्याऊँ, ज्ञानानंद समूह बढ़ाऊं। इन्द्र पूज्य जिन तन सम ध्याऊं, पूजूं इसके गुणगण गाऊं।। ऊँ ह्रीं 'रि'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।28।।
या-बीजाक्षर मति बढ़ावे, वीतरागमय सतत सुहावे। नर सुर से वंदित को ध्यावें, पूजा इसकी दिव्य रचावें।। ॐ ह्रीं 'या'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।29॥
णं-बीजाक्षर कर्म नशावे, हिंसक कर्म को दूर भगावे। प्रकृष्ट सिद्धि कर्तार सुहावे, पूजों अर्घ चढ़ा कर ध्यावें।। ऊँ ह्रीं “णं' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।30॥
ऊँ णमो लोए सव्वसाहूणं
ऊँ बीजाक्षर निर्मल ध्यावे, कर्म मूल को दूर हटावें।
संसार ताप नहिं उसे सतावें, पूजें ध्यावें भक्ति बढ़ावें।। ऊँ ह्रीं "ऊँ कार'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।31॥
ण-बीजाक्षर मंत्र सु राजा, दुःख पलावे सुधरे काजा।
परमानन्द करे नित ध्याता, पूज्र वंयह है त्राता।। ऊँ ह्रीं 'ण'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।32॥
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