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अष्टद्रव्यमय अध्य विमल ले, शान्तिनाथ प्रभु का पूजन।
करते हैं जो भव्य शतेन्द्रों, से वन्दित हों दिव्यचरण।। ऊँ अ ह्रां सि ह्रीं आ # उ ह्रौं सा ह्रः जगदापविनाशनाय श्री शान्तिनाथाय
अय॑म् निर्वपामीति स्वाहा।
जयमाल
ज्ञानरूप ओंकार नमस्ते, ह्रीं मध्ये प्रभु शान्ति नमस्ते। स्थावरांगि अरिहन्त नमस्ते, दयाधर्म परिपूर्ण नमस्ते।1।
एकानेक स्वरूप नमस्ते, श्रीमच्चक्राधीश नमस्ते। शान्तिदीप्ति शिवरूप नमस्ते, ज्ञानगर्भ निजरूप नमस्ते।2।
नानाभाषाबोध नमस्ते, आशापास विहीन नमस्ते। पावन गुनगणगीत नमस्ते, अष्टकर्म विध्वस्त नमस्ते।3।
तीर्थंकरपदपूत नमस्ते, पर-संकल्प-विहीन नमस्ते। मुक्तिवधू के कन्त नमस्ते, सम्यक्चारितदक्ष नमस्ते।4।
आत्मस्वभावे लीन नमस्ते, रत्नत्रय-संयुक्त नमस्ते। आत्मबोधिपरिपूर्ण नमस्ते, इह परत्र सुखदाय नमस्ते।5। करुणासागर नाथ नमस्ते, वाणी विश्वहिताय नमस्ते। शान्तिनाथ परमेश नमस्ते, तीव्रगरल हर दक्ष नमस्ते।6।
कुरुवंशे शवतंस नमस्ते, ऋषिचित हर्षितकरण नमस्ते। कुलक्रमकारि जिनेन्द्र नमस्ते, सदा विचित्र स्वरूप नमस्ते।7। __ ह्रीं बीजे वरशायि नमस्ते, धीर वीर भुवनेन्द्र नमस्ते। विघ्नविनाशक शान्त नमस्ते, प्राणिनाथ तव नाम नमस्ते।8। भयहर्ता निर्भीक नमस्ते, दिव्यधुनी शिवरूप नमस्ते। धर्मधुराधर धीर नमस्ते, निजचैतन्ये लीन नमस्ते।9।
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