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जयमाला (बेसरी छन्द) संयम सार जगत में भाई। संयम तें जिय शिव सुख पाई।
संयम सबका राखनहारा, संयम है शिरताज हमारा।। संयम सकल जीव सुखदाई, संयम जगत जीव बड़ भाई। संयम जगत गुरुनि को प्यारा, संयम है शिरताज हमारा।।
पूरण संयम मुनिजन पावै, संयमतें ही शिवमग धावै। संयम अघनाशक असिधारा, संयम है शिरताज हमारा।।
संयम मुकुट धर्मधर धारै, संयमते विषधर उर हारे। संयम जामन मरण निवारा, संयम है शिरताज हमारा।। संयम के सब दास बताये, संयम बिना जगत भरमाये। संयम मोह सुभट को मारा, संयम है शिरताज हमारा।। संयम मन का जीतनहारा, संयम इन्द्रिय रोग निवारा।
पाप बेलिको नाशनहारा, संयम है शिरताज हमारा।। संयम जगविरक्त जिय भावै, संयम का मुनि जन जस गावै।
संयम धर्म बहू अघ जारा, संयम है शिरताज हमारा।। संयम भवसागर नवका-सी, संयम धरि जिय शिवपुर जासी।
संयम कर्म कलंक निवारा, संयम है शिरताज हमारा।।
(दोहा) संयम जग का बन्धु है, संयम मात रु तात। संयम भवभव शरण है, नमों 'टेक' अघ जात।।
ऊँ ह्रीं उत्तमसंयमधर्मांगाय पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
॥इति उत्तम संयम धर्म पूजा॥
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