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सुरग थानक विषै देव जिनके सही। रतनमय जैन बिंब बिकर किये है मही।। मान तजि शीश इन चरणको सु नाइयो। धर्म मार्दव सु तासु फल मोक्ष पाइयो।।8।। ऊँ ह्रीं श्री ऊर्ध्वलोकसंबंधी जिनचैत्यनमन-मार्दवधर्मांगाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
ज्योतिषी व्यंतरा थान मध्यलोकजी। बिन किये चैत्य जिन कहे अघ रोकजी।। मान तजि शीश इन चरण को सु नाइयो। धर्म मार्दव सु तासु फल मोक्ष पाइयो।।9।। ऊँ ह्रीं श्री मध्यलोकसंबंधी जिनचैत्यनमन-मार्दवधर्मांगाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
भवन देवनि विषै बहुत जिनराय जी। बिम्ब अकृत्रिम कहे सेय तसु पायजी।। मान तजि शशि इन चरण को सु नाइयो। धर्म मार्दव तासु फल मोक्ष पाइयो।।10। ऊँ ह्रीं श्री ऊर्ध्वलोकसंबंधीजिनचैत्यनमन-मार्दवधर्मांगाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
आदि इन पुज्य थानक बहुत हैं सही। सिद्ध क्षेत्र मोक्ष फलदाय तीरथ मही।। मान तजि शीश इन चरण को सु नाइयो। धर्म मार्दव सु तासु फल मोक्ष पाइयो।।11।।
ऊँ ह्रीं श्री सिद्धक्षेत्रपदनमन-मार्दवधर्मांगाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
जयमाला (बेसरी छन्द) मार्दव धर्म मान को खोवै, ताफल जगत पूज्य फल होवें। मार्दव सकल दोष निरवारै, ताफल आप तिरै अनि तारै।। मार्दव धरम इन्द्रसुर पूजै, मार्दव धरम भजै अघ धूजै। मार्दव मान हरे सुखकार, ताफल आप तिरै अनि तारै।। मार्दव धरम महानर ध्यावै, मार्दव धरम हानि नहि पावै। वह मार्दव वृष शिवथल धरै, ताफल आप तिरै अनि तारै।। ___मार्दव सबको राखै माना, मार्दव सब धरमनि में दाना। मार्दव धरम जीव जे धारे, ताफल आप तिरै आनि तारे।।
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