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हालाहलज्वालजटालभाला, भीलाहिपाशं सुरवीरसैन्यम्।
द्वारं प्रतीच्यं परिपालनन्तं दुरवीर्यं वरुण वृणोमि।।3।। ॐ आं क्रों ह्रीं पाशधराय अर-अर त्वर-त्वर हूं वरूण! अत्र आगच्छ-आगच्छ इत्यादि।
ऊँ आं क्रों ह्रीं वरुणाय इदं अयं पायं........गृहाण-गृहाण स्वाहा।
गदाभ्रमाकम्पित वैरिलोकं, लोकाक्रमोत्तालसुरैः परीतम्।
उदग्भवद्वारमवन्तमेनं कुबेरवीरं बलिना धिनोमि।।4।। ऊँ आं क्रों ह्रीं गदाधराय अर-अर त्वर-त्वर हूं कुबेर! अत्र आगच्छ-आगच्छ इत्यादि।
ऊँ आं क्रों हीं गदाधराय कुवेराय इदं अध्यं पाद्यं........गृहाण-गृहाण स्वाहा।
जाप्य
ॐ ह्रीं अहँ झं वं व्हः पः हः मम सर्वापमृत्युजय कुरू-कुरू स्वाहा।
अनेनमन्त्रेण लवंगेण-पुष्पेण वा अष्टोत्तरशत जपं कुर्यात्।
अथ जयमाला जय प्रथम जिनेश्वर महिपरमेवर, जय ईश्वर गुणगण महितसदन जय। जय नमित सुरासुर सकल सुखाकर, जय जय जनतामरणहरण जय।।1। जय आदिजिनेन्द्र विशालरूप जय, जय पूजित चन्द्रसुरेन्द्रभूपजय। जय नाभिनरेश्वर पुत्रसार जय, जय मरुदेवीसुत धर्माकार जय।।2।। जय प्रथमधर्म प्रकाशवीर जय, जय प्रथम योगीश्वर प्रथमधीर जय। जय सेवित व्यन्तर नागराज जय, जय नमित सुरासुर भानुराज जय।।3।।
जय ज्ञानरूप जय शर्मरूप जय, जय चन्द्रवदन अकलंक रूप जय। जय भव्यदयाकर भव्य हंस जय, जय प्रकटित शुभंकर चारुवंश जय।।4।। जय प्रथम प्रजापते प्रथम ईश जय, जय प्रथम यतीश्वर प्रथमाधीश जय।
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