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केश नीसरे भोजन माँय, अन्तराय तो यती मनाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं केशमलरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
मृतप्राणी भोजन में जोय, तो मुनि भोजन छाँड़े सोय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं मृतजीवदर्शनदोषरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भोजन समय अस्थि यदि जोय, तो यति भोजन त्यागे सोय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं कीकशदोषदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
जीमत राध नजर जो आय, तो योगी आहार न पाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं पूयामलरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भोजन करत चर्म दिखलाय, तो योगी आहार न पाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं चर्मदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अयम् निर्वपामीति स्वाहा।
जीमत यदि रुधिर अवलोय, तो आहार तजे यति सोय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं रुधिरदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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