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ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
मणि जडित हाटक दीप सुन्दर खातका घनसार है। सर्पि सहित शिखा प्रकाशित, आरती तमहार है।।
विमलनाथ अनंतनाथ, सु धर्मनाथ जु शांत ये।
कुन्थु अरह जु नमिय जिन महावीर आठों जिन जजे।। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
लोभा अगर कर्पूर चंदन, लौंग चूरन लेइये। वन्हि धूम वि वर्जितम जिन चरन आगे खेइये।।
विमलनाथ अनंतनाथ, सु धर्मनाथ जु शांत ये।
कुन्थु अरह जु नमिय जिन महावीर आठों जिन जजे।। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
कल्पपादक जिन श्रीफल, फल समूह चढ़ाइये। भक्ति भाव बढाय करके, सरल श्रीफल लीजिये।।
विमलनाथ अनंतनाथ, सु धर्मनाथ जु शांत ये।
कुन्थु अरह जु नमिय जिन महावीर आठों जिन जजे।। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो फलं निर्वपामीति स्वाहा।
शुभ सलिल चंदन सुमन, अक्षत क्षुधा हर चरु लीजिये। मणि दीप धूपक फल सहित, वसु द्रव्य अर्घ करीजियें।।
विमलनाथ अनंतनाथ, सु धर्मनाथ जु शांत ये।
कुन्थु अरह जु नमिय जिन महावीर आठों जिन जजे॥ ऊँ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
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