________________
सर्वलघु दोहा वरत यह सुखकरन लख। समचित कर सिव सहल।। पहल करम सर्व नस मजय, कर यह वरत जुटहल।।6।
चौपाई
यो व्रत मयणा सुन्दर करौ। सुभट सातसें को दुख हरौ। ताकर जगमैं महिमा पाय। इस लख भव पूजौ मनलाय।।7।।
अडिल्ल छन्द वरस एक में वार तीन यह व्रत करें। कार्तिक फागुन सुदी अषाढ़ विर्षे धरै।। करें वर्ष लग आठ तथा वृष तीन जी। शक्ति बड़ीका धर करें परवीन जी।।8।।
सोरठा शक्ति बड़ी धर सोय, करै बहुत दिन भी सही। उद्यापन फिर होय, नाहीं व्रत दूनो करै।।9।
गीता छन्द पीछै जु शक्ति प्रमाण अपनी द्रव्य तें पूजा करें। उपकरण सुन्दर छत्र चामर लायकें मंदिर धरै।। पुस्तक लिखावै दान करुणा देय दीन बुलाय जी। इस रीति धर्म उद्योत ठाने जीव सो शिवपाय जी।10॥
पद्धरी छन्द याविध अनेक महिमा निधान। यह वरतकहों धुनि में प्रमाण।।
159