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आशारमे पट्टन विर्षे समव-सरण मुनि सुव्रत जहाँ।। ऊँ ह्रीं श्री पाश्वनाथभिनन्दनयोः समवसरणास्पदङ्गलापुरक्षेत्राय, मुनिसुव्रतस्य
समवसरणास्पदाशारम्यपट्टनक्षेत्राय अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
गाथा- बाहुबलि तह बदंमि, पोयणपूरत्थिणापुरं बंदे। संती कुंथव अरिहो, वाराणसिए सुपासपासं च।।
(ढाल सीमन्धर जी की वन्दना की) पोदनपुर बाहूबली वंदामी हो, शांति कुन्थु अरनाथ। हस्तिनापुर तीन जिन वंदामी हो, अष्टांगै नय माथ।। पुनिनगर वाराणसि विर्षे हो, जिन पारस और सुपार्शव जी। वंदहु त्रिविध त्रिकाल भव हो, हरहु पीर कृपाल जी।। भगवान ईश्वर सुगत विष्णु, श्रीजिन विपुल अपार जी। जिननाम इन्द्र धरणेन्द्र चक्री, भक्ति करहिं महान जी।।
ऊँ ह्रीं श्री बाहुबलिचरणाश्रितपोदनपुराय, शान्तिकुन्थवरहचरणस्पृष्टहस्तिनागपुराय, सुपार्शवपाश्वपदाश्रित
वाराणसीक्षेत्राय अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
गाथा
मह्वराये अहिछित्रे, वीर पासं तहेव वंदामि। जंबुमुणिदो वंदे, णिव्वुइपतोबि जंबुवणगहणे।।
(पद्धरी छन्द) मथुरा अहिक्षेत्र महाविशाल, महावीर पाश्व वन्दों त्रिकाल। जामुनके घन तहँ वनसुठान, शिवपाय जम्बु मुनिवर प्रमान।।
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