________________
संसार में भागम-भाग मची, पर प्रभू हमारे स्थिर हैंI अक्षयपद से ही शांति मिले, जग का पद तो अस्थिर हैII जम्बू स्वामी ने आत्म-ज्ञान कर, आतम रूप निखारा हैI
अब हम उनकी पूजा करते, और निज का रूप निहारा हैII
ओं ह्रीं श्री जम्बू स्वामी जिनेन्द्राय अक्षयपद प्राप्ताय अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। Sansāra mēm bhāgama-bhāga macī, para prabhū hamārē sthira hais |
Akşayapada sē hī śānti milē, jaga kā pada tõ asthira hai || Jambū svāmī nē ātma-jñāna kara, ātama rūpa nikhārā hai
Aba hama unakī pūjā karatē, aura nija kā rūpa nihārā hai || Öm hrīm śrī jambū svāmī jinēndrāya akşayapada prāptāye akşatān
nirvapāmīti svāhā|
भोगों के भंवरे घूम रहे, जग में बस इनसे बचना हैI हो काम बाण का नाश प्रभो! इसमें ना हमको फँसना है | जम्बू स्वामी ने आत्म-ज्ञान कर, आतम रूप निखारा हैI
अब हम उनकी पूजा करते, और निज का रूप निहारा है ||
ओं ह्रीं श्री जम्बू स्वामी जिनेन्द्राय कामबाण विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। Bhögām kē bhanvarē ghūma rahē, jaga mēs basa inasē bacanā hai Ho kāma-bāņa kā nāśa prabho! Isamēm nā hamako phañsanā hai
Jambū svāmī nē ātma-jñāna kara, ātama rūpa nikhārā hai
Aba hama unakī pūjā karatē, aura nija kā rūpa nihārā hai || Om hrī śrī jambū svāmī jinēndrāya kāmabāņa vidhvansanāya
puspaṁ nirvapāmīti svāhā|
नर पशु में ये ही अंतर है, नर संयम ध्रर के महान बनेI पशु बस खाने को जीता है, नर तप कर के भगवान बनेII जम्बू स्वामी ने आत्म-ज्ञान कर, आतम रूप निखारा हैI
अब हम उनकी पूजा करते, और निज का रूप निहारा है || ओं ह्रीं श्री जम्बू स्वामी जिनेन्द्राय क्षुधा-रोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
302