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(दोहा)
श्री जी की महिमा अगम है, कोई न पावे पार |
मैं मति-अल्प अज्ञान हूँ, कौन करे विस्तार || (Dōhā)
śrī jī kī mahimā agama hai, kō'i na pāvē pāra | Maim mati-alpa ajñāna hūm, kauna karē vistāra ||
ओं ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय जयमाला - पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । Ōm hrīm śrī ādināthajinēndrāya jayamālā-pūrṇārghyam nirvapāmīti
svāhā|
विनती ऋषभ जिनेश की, जो पढ़सी मन ल्याय |
सुरगों में संशय नहीं, निश्चय शिवपुर जा
Vinati rṣabha jinēśa kī, jō paṛhasī mana lyāya | Suragōm mēm sanśaya nahīṁ, niścaya śivapura jāya ||
॥इत्याशीर्वादः पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।
|| Ityāśīrvāda: Puspāñjalim ksipet ||
श्री शांतिनाथ जिन पूजा Shri Shaantinath Jin Poojaa
या भव-कानन में चतुरानन, पाप-पनानन घेरि हमे री | आतम-जानन मानन ठानन, बान न होन दई सठ मेरी || तामद भानन आपहि हो, यह छान न आन न आनन टेरी । आन गही शरनागत को, अब श्रीपतजी पत राखहु मेरी।। ओं ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतरत अवतरत संवौषट् ! (आह्वाननम् )
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