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सिद्ध-पूजा (हिन्दी द्रव्याष्टक) Siddh-Pooja(Hindi
Dravyastak)
(अडिल्ल छन्द) अष्ट-करम करि नष्ट अष्ट-गुण पाय के, अष्टम-वसुधा माँहिं विराजे जाय के |
ऐसे सिद्ध अनंत महंत मनाय के,
संवौषट् आह्वान करूँ हरषाय के || ओं ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिन! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट! (आह्वाननम्) ___ओं ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिन्! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठः! ठः! (स्थापनम्) ओं ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिन्! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्! (सन्निधिकरणम्)
(adilla chanda) Asta-karama kari nasta asta-guna pāya ké, astama-vasudha mamhim viraje jaya ke | Aisē sid'dha ananta mahanta manāya kē,
sanvausat āhavāna karūń haraşāya kē || Om hrim namosid'dhānam sid'dhaparamesthin! Atra avatara!
Avatara! Sanvauşat! (Ahvānanam) Om hrim namo sid'dhānam sid'dhaparamesthin! Atra tistha! Tistha!
Tha:! Tha:! (Sthāpanam) Om hrim namo sid'dhānam sid'dhaparamesthin! Atra mama sannihito bhava bhava vasat! (Sannidhikaranam)
nbsp;
(छन्द त्रिभंगी) हिमवन-गत गंगा आदि अभंगा, तीर्थ उतंगा सरवंगा | आनिय सुरसंगा सलिल सुरंगा, करि मन चंगा भरि भुंगा || त्रिभुवन के स्वामी त्रिभुवननामी, अंतरयामी अभिरामी |
शिवपुर-विश्रामी निजनिधि पामी, सिद्ध जजामी सिरनामी || ओं ह्रीं श्री अनाहत-पराक्रमाय सर्व-कर्म-विनिर्मुक्ताय सिद्धचक्राधिपतये सिद्धपरमेष्ठिने जन्म-जरा-मृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।
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