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श्री पार्श्वनाथ जिन-पूजा (बडा गांव) (रचयित्री - नीलम जैन)
जल चन्दन अक्षत पुष्प नैवेद्य बनाकर लाया हूँ।
दीप धूप फल सजाकर प्रभुवर चरणों में आया हूँ। यह अष्ट द्रव्य से पूजा का शुभ थाल सजाकर लाया हूँ।।
बड़ागाँव के पारस प्रभु मैं पूजा करने आया हूँ।।।। ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनध्यपद-प्राप्तये अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
श्रीपार्श्वनाथ जिन-पूजा (कचनेर) (रचयिता - क्षुल्लक सिद्धसागर जी)
वसु-विधि सब द्रव्य मिलाय, अर्घ उतारत हूँ। निज पद मेरो मिल जाय, याते याचत हूँ।।
चिंतामणि-पारसनाथ चिंता दूर करें।
मन-चिंतित होत हि काज, जो प्रभु-चरण चुरे।। ।। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनध्यपद-प्राप्तये अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
श्री पार्श्वनाथ जिन-पूजा (रचयिता - पं. मोहनलाल) अष्टद्रव्य शुभ अर्ध्य बनाय, पूजत मनवांछित फल पाय।
पूजो प्रभुको, निश्चय जावे शिवपदको।। तेवीसवा श्री पार्श्व जिनेश, अतिशय श्री कचनेर विशेष।
भवि चित्त लगाय, पूजो हरष गुण गाय।।। ॐ ह्रीं कचनेरग्रामी-श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनध्यपद-प्राप्तये अयं निर्वपामीति स्वाहा।
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