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श्री श्रेयांसनाथ जिन पूजन
स्थापना
ज्ञानोदय छंद हे श्रेयनाथ मेरे भगवन् !मैं श्रेय पंथ पाने आया। मैं चला अभी तक मोह पंथ, भगवंत संत को ना पाया।।
निज रूप नहीं जाना मैंने, कैसे वसु द्रव् सजाऊँ मैं। श्रद्धा का थाल लिया कर मैं, हे स्वामी तुम्हें पुकारूँ मैं।। मैंने मन आँगन स्वच्छ किया, विश्वास प्रभु जी आयेंगे।
प्रभु काल अनादि से सोये, बालक को आज जगायेंगे।। ऊँ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
ऊँ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र !अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र !अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
तर्ज-हे दीनबंधु उत्तम क्षमा का जल नहीं, पिया मेरे प्रभ। कषायों की कलुषता मिटी नहीं प्रभो।। जन्मादि रोग नाशने को आ गया शरण।
हे श्रेयनाथ दूर कीजिये जनम मरण ॥1॥ ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
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