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जाप्य
ऊँ ह्रीं अर्हं श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्राय नमो नमः।
जयमाला दोहा
प्रभु क्षेत्र से दूर हूँ, रखना मेरा ध्यान ।
शिव आलय में आ बसूँ, दो ऐसा वरदान ।1।।
चौपाई
हे पंचम तीर्थंश नमस्ते, गिरी शिखर से मुक्त नमस्ते । अरि नाशक अरहंतनमस्ते, वीतराग जिन संत नमस्ते ॥2॥ जन्म अयोध्या नगर नमस्ते, भव्य जीव आधार नमस्ते । पितु मेघप्रभ माँ मंगला से, जन्म लिया है प्रभु नमस्ते ॥3॥ दुखहारी सुखकार नमस्ते, त्रिभुवन पति हितकार नमस्ते। सत्य तथ्य शिवकार नमस्ते, दोष अठारह मुक्त नमस्ते॥4॥ शील धर्म परिपूर्ण नमस्ते, भविजन पालक नाथ नमस्ते । एक शतक सोलह गणधर से, सुमतिनाथ जिनराय नमस्ते ॥5॥ पंचम गति आवास नमस्ते, चिदानंद चिद्रूपनमस्ते । राग-द्वेष से रहित नमस्ते, नंत गुणों से सहित नमस्ते॥6॥ भक्त करे य योग नमस्ते, स्वीकारो जिनईश नमस्ते । पतित जनों के शरण नमस्ते, पावन शिवपुर पंथ नमस्ते ॥7॥
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