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श्री अभिनंदननाथ जिन पूजन
स्थापना
अडिल्ल छंद परम पूज्य अभिनंदन नाथ जिनेश हैं, कोटिक रवि शशि तेज धरे परमेश हैं। पुण्योदय से आज शरण में आ गया, वीतराग चिद्रूप हृदय को भा गया।।1।। बिना आपके काल अनंता हो गया, गुरू कृपा से भक्त आपका हो गया। मन मंदिर में प्रभु बुलाने आया हूँ,
पूजन करके जिनगुण पाने आया हूँ।।2।। ऊँ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
ऊँ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
नरेन्द्र छंद तन की प्यास बुझाने वाला, सरिता का जल लाया। आत्म तYव की प्या जगा दे, वह जल पाने आया।।
हे अभिनंदन स्वामी मेरे, देहालय में आना।
दर्शन देकर दुष्कर्मों से, मुझको नाथ छुड़ाना।।1।। ऊँ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
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