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नाथ तेरा ही हूँ मैं बचा लीजिए | नाथ संभव करूँ आपकी अर्चना । आत्मसिद्धी मिले एक ही कामना ॥ 9 ॥ एक ही भावना 'पूर्ण' कर दीजिए। नाथ संभव भवाताप हर लीजिए ॥ नाथ संभव करूँ आपकी अर्चना ।
आत्मसिद्धी मिले एक ही कामना ॥ 10 ॥
ऊँ हीं श्रीसंभवनाथजिनेन्द्राय जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
घत्ता
श्री संभव जिनवर, हे परमेश्वर, भव-भव का संताप हरो । निज पूज रचाऊँ, ध्यान लगाऊँ, 'विद्यासागर पूर्ण' करो।।
॥ इत्याशीर्वादः ॥
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