________________
निज स्वभाव चंदन सुखदाय, मन को अतिशय तृप्त कराया।
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय। धर्मनाथ जिनवर गुणगाय ।
आत्म ध्यान का करूँ उपाय,
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय ||2|| ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
संसारिक पद नहीं सुहाय, उत्तम अक्षय ध्रुव पद पाय।
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय।। आत्म ध्यान का करूँ उपाय, धर्मनाथ जिनवर गुणगाय ।
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय || 3 ||
ऊँ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।
शील
पुष्प की सुरभि प्रदाय, कामदेव को शीघ्र भग परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय ।। आत्म ध्यान का करूँ उपाय, धर्मनाथ जिनवर गुणगाय । परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय||4||
ऊँ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
वंदन तीनों कालजिनाय, क्षुधा रोग अविलंब नशाय। परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय ।।
आत्म ध्यान का करूँ उपाय, धर्मनाथ जिनवर गुणगाय ।
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय | 5 ||
ऊँ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
122