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दोहा
पूजा विमल जिनेश की, भक्ति भरी जयमाल।
अल्पमति मम पूर्ण' हो, गाऊँ तव गुणमाल।।11॥ ॐ हीं श्रीविमलनाथजिनेन्दाय जयमाला पूर्णायँ निर्वपामीति स्वाहा।
घत्ता
जय जय विमलेश्वर, हे अखिलेश्वर, भव-भव का संताप हरो। निज पूज रचाऊँ, ध्यान लगाऊँ, 'विद्यासागर पूर्ण' करो।।
॥ इत्याशीर्वादः॥
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