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बड़ागाँव श्री पार्श्वनाथ भगवान जी
श्री पार्श्वनाथ - चालीसा
(दोहा) बड़ागाँव अतिशय बड़ा, बनते बिगड़े काज । तीन लोक तीरथ नमहुँ, पार्श्व प्रभु महाराज ॥१॥
आदि-चन्द्र-विमलेश-नमि, पारस-वीरा ध्याय । स्याद्वाद जिन-धर्म नमि, सुमति गुरु शिरनाय ।।२।।
(मुक्त छन्द) भारत वसुधा पर वसु गुण सह, गुणिजन शाश्वत राज रहे। सबकल्याणक तीर्थ-मूर्ति सह, पंचपरम पद साज रहे ॥१॥
खाण्डव वन की उत्तर भूमी, हस्तिनापुर लग भाती है। धरा-धन्य रत्नों से भूषित, देहली पास सुहाती है ॥२॥
अर्धचक्रि रावण पंडित ने, आकर ध्यान लगाया था। अगणित विद्याओं का स्वामी, विद्याधर कहलाया था ॥३॥
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